
श्री राधे रानी दे डारो नी
श्री राधे रानी दे डारो नी बंसी हमारी, काहे से गाऊँ राधे काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊं गैया घेरी,

श्री राधे रानी दे डारो नी बंसी हमारी, काहे से गाऊँ राधे काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊं गैया घेरी,

चाहा था मैंने रोकना लेकिन चाह कर भी न रोक न सका, आँख से आंसू छलक गए थे जब तेरा

छोड़ ब्रज जब कृष्णा चल दिए ग्वाल बालख बिन्ख पड़ी और राधिका के नैन भर गए सुना पड़ गया ये

रंग लाइ है बर्बरीक तेरी क़ुरबानी, आज घर घर में पूज रहा है शीश के दानी, आया तेरा ज़माना कलयुग

या देही तुझा संग, कैसा जोडू मी ते सांग विठ्ठला दिस रात तुही आस,

अरे आजा रे कृष्णा अपने इस गोकुल, सताये दर्श की तृष्णा राधा को गोकुल में, रात मेरी है सुनी सुनी

सारे ब्रिज में मचा है ये हला माँ यशोदा ने जन्मा है लला नन्द बाबा का मन हुआ खुशहाल रे,

आया है दुनिया मैं हरी गुण गाने के लिए, मानुष जनम मिला है तुम्हे कुछ पाने के लिए, किसी के

चल राधा मधुवन चाला तारा छाई रात्रि, झील मिल रास रचाये श्याम मधुवन में, कोणी जाऊ मधुवन कान्हा सॉट तेरे

मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे नाम मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली । प्रात होत हम श्री