
कहा पे है मेरे घनश्याम राधा रो रो केहती है
कहा पे है मेरे घनश्याम राधा रो रो केहती है राधा रो रो केह्ती है के राधा रो रो केहती

कहा पे है मेरे घनश्याम राधा रो रो केहती है राधा रो रो केह्ती है के राधा रो रो केहती

मनमोहन मुरली वाले तुम को आना चाहिए, भक्तो को न और सताना चाहिए, हम कब से खड़े है पुकार रहे,

संकट आये मन घबराये चिंता फ़िक्र तू मत करियो, मेरा श्याम दौड़ा आयेगा विश्वाश तू रखियो, तू दुःख में इसे

श्याम तेरे मुखड़े को जिसने निहारा, नहीं भूलेगा मेरे श्याम ये नजारा ये नजारा, प्यारे तेरा जलवा है ऐसा जादूगारा

बसों मेरे नैनं में नन्दलाल॥ मोहनी मुरती सवाली सुरती, नैना बने विसार, अधर सुधारस मुरली राजत॥ पुर बेजंती माल, बसों

सीधे साधे दो अक्षर भी क्या क्या खेल दिखते है जब जब मुख से राधा निकले नज़र बिहारी आते है

काहे तूने प्रीत सिखाई कृष्णा ओ मेरे कान्हा काहे तूने प्रीत सिखाई कृष्णा कान्हा तेरो आँखों से चलता है जादू

ठंडाई की ग्लाससा, में तोह गट गट गटथास्य , भजन की मेला में तोह हाँ चुप , थारी म्हारी गास्याी

झूलन चलो हिडोलना वृषभानु नंदनी, सावन की तीज आई नवधोर घटा छाई, मेघन झड़ी लगाई,पड़ी बूँद मंदिनी, झूलन चलो हिडोलना

माये नी मेरा करदे गिरधर नाल विवाह, मैं गिरधर दी गिरधर मेरा, उसदे नाल नाता जुड़ गया मेरा, पूरा करदे