
रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलाल
होली के दोहे
रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलालवृंदावन होली हुआ सखियाँ रचें धमाल होली राधा श्याम की औ
होली के दोहे
रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलालवृंदावन होली हुआ सखियाँ रचें धमाल होली राधा श्याम की औ
आज तो किशोरी जी से फाग खेलने के चक्कर में यह नटखट कान्हा उल्टे ही फँस गयो। किशोरी जी भोरी
मेरे धन-जन-जीवन तुम ही, तुम ही तन-मन, तुम सब धर्म।तुम ही मेरे सकल सुखसदन, प्रिय निज जन, प्राणोंके मर्म॥ तुम्हीं
खेलत दोऊ कुंजन होरी।मूठ गुलाल उडावत सजनी,ढोरत रंग कमोरी।बाजत चंग मृदंग सारंगी,गावत हैं मिल गौरी॥पिचकारी बोछारन बरसत,फेंकत बूकन झोरी।रामसखी मेरे
होली खेले चांदनी रात कान्हा बरसाने मैं आइये,बरसाने मैं आइये कान्हा बरसाने मैं आइये……. कोठे बढ़ के बाट निहारूं तेरे
अज शाम दे नाल होली खेलागेहोली खेलागे जय हो होली खेलागे बरसाने आए मुरार होली खेलागेअज रेगा दे नाल होली
श्याम से श्यामा बोली,चलो खेलेंगे होली।श्याम से श्यामा बोली,चलो खेलेंगे होली॥बाग़ है यह अलबेला,लगा कुंजो में मेला।हर कोई नाचे गाये,रहे
होली खेलन को श्याम आयो रे वृन्दावन में,वृन्दावन में हां वृन्दावन में,रंग डालन को श्याम आयो रे वृन्दावन में भर
होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में।वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥ संग सखा श्याम के
कान्हा रे थोडा सा प्यार दे,चरणों में बैठा के तार देओ गोरी, घूंघट उतर दे,प्रेम की भिक्षा झोली में दार