श्यामा रोज ना बजाय करो बंसरी
श्यामा रोज ना बजाय करो बंसरी वे घरो साणु मार पैंदी ए, सुन मोहिना तेरी बांसुरी नू लै जान चोर
श्यामा रोज ना बजाय करो बंसरी वे घरो साणु मार पैंदी ए, सुन मोहिना तेरी बांसुरी नू लै जान चोर
क्या बतलाऊ कैसा है मेरा श्याम सलोना, मैंने मिट्टी पकड़ी यारो वो मिटटी बन गई सोना, क्या बतलाऊ कैसा है
यमुना किनारे राधा तेरी कर रही इंतज़ार रे, मोरी अखियां तरस रही है दिल चाहता है देदार वे, ओ लाडू
छुम छुम बाजे पायलिया छवि दिख लाये कान्हा मेरे घर आये कान्हा मेरे घर आये, कान्हा घर आये.. रेन अँधेरी
कैसे जीयु मैं कृष्णा तुम्हारे बिना, मेरा मन ही न लागे तुम्हारे बिना, कैसे जीयु मैं कृष्णा तुम्हारे बिना मेरे
आज हरी आये, विदुर घर पावना॥ आज हरी आये, विदुर घर पावना॥ विदुर नहीं घर मैं विदुरानी ,आवत देख सारंग
जिसने भी मेरे श्याम को दिल से सजा दिया, जीवन को उसके श्याम ने सूंदर बना दिया, जिसने भी मेरे
राधे राधे रटुगा आठो याम ब्रिज की गलियों में, चाहे ढल जाए जीवन की शाम ब्रिज की गलियों में, वृन्दावन
यह मेरी अर्ज़ी है वैसी बन जाओ जैसी तेरी मर्ज़ी है, लफ्जो का टोटा है, जीकर प्यारे का अश्को से
तेरा जैसा सांवरा कोई नहीं कोई नहीं कोई नहीं कोई नहीं कोई नहीं कोई नहीं तेरी सूरत प्यारी प्यारी तेरी