
गोविन्द नाम जपो रे
अपने अपने मुख से गोविन्द नाम जपो रे, गोविन्द नाम जपो रे गोपाल नाम जपो रे, अपने अपने मुख से

अपने अपने मुख से गोविन्द नाम जपो रे, गोविन्द नाम जपो रे गोपाल नाम जपो रे, अपने अपने मुख से

श्याम सलोने मुझको दे वर सेवा तुम्हारी करू उम्र भर, जीवन ये बीते शरण में तेरी छूटे कभी न ये

आज गोकुल नगरिया निहाल हे सखी, लिये जनम कन्हाई कृष्णलाल हे सखी, आज गोकुल नगरिया…… गूँजत नन्द भवन किलकारी, देखन

दुनिया की खा के ठोकरे तेरी शरण में आई ठुकरा ना देना हमको मन में ये आस आई दुनिया की

तमन्ना फिर मचल जाये अगर तुम मिलने आ जाओ, ये मौसम ही बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ मुझे

किनारे मेरी नैया लगा दे ओ कन्हैया, नित जपु तेरा नाम आज नरसी के श्याम नही तुस और खिवैया, कनारे

किशोरी अब मेरा जीवन सहारे आप के ही है , सम्बालो तो सम्बल जाऊ बिगाड़ो तो बिगड़ जाऊ, खिलौना हु

सांवरिया मिलने आजा रे, बांसुरियां मुझे सुना जा रे, क्यों राधे नीर बहाये रही, तेरी मुझको याद सताए रही, मेरी

आ शाम के संग में चलें प्यारे बरसाने में यूं कहें हम ब्रज की बातें अपनी आवाजों में कान्हा मिलना

मैंने सांवरा सलोना पसंद कर लिया, जी भर के देखा नजर बंद कर लिया, मैंने सांवरा सलोना पसंद कर लिया,