सखी बिनु राधा कान्हा कछु नाहीँ
सखी बिनु राधा, कान्हा कछु नाहीँ: सखी बिनु राधा, कान्हा कछु नाहीँ, मन अधीर बिकल अति विह्वल, चितवत चंद चकोर
सखी बिनु राधा, कान्हा कछु नाहीँ: सखी बिनु राधा, कान्हा कछु नाहीँ, मन अधीर बिकल अति विह्वल, चितवत चंद चकोर
भूल हुई काई हे कइयाँ रूस्या हो, टेर सुनो सावल सा माहरी कहियाँ सूतियाँ हो, घनी मिनत करू थारी भुला
रिश्ता मैं जोड़ आई राधे और श्याम से, लड्डू गोपाल लाइ वृन्दावन धाम से, इस दुनिया से मैंने यु ही
मुझे चरणों से लगाले मेरे श्याम मुरली वाले। मेरी स्वास स्वास में तेरा है नाम मुरली वाले॥ भक्तो की तुमने
मधुर भजा के मोहन तू मुरलिया राधा का मन मोह लेयो रे तेरे पीछे मीरा भी हु वन्वारियां राधा का
इक दिन काहना शोर मचाये, पेट पकड़ चिलाये अरे क्या हो गया है, अरे क्या हो गया है भामा रुक्मण
कजरारे काले नैना नैना तोरे अधरों पे लाली लाल, लहरावे तेरी लट घुंघराली लागे बड़ी कमाल, लाखो में एक लगे
जब नाम जपोगे कृष्णा तो मिटे गी मन की तृष्णा बोलो कृष्णा कृष्णा बोलो कृष्णा राधे कृष्णा कृष्णा बोलो कृष्णा
तेरी मेहर की नजर हो गई दीवानी पे, तू फिर रोया था सुन कर मेरी कहानी पे, तेरी मेहर की
आ जाओ सरकार दिल ने पुकारा है, हारे ये नैनो के तार ओजल नजारा है, फितरत ज़माने की बड़ी ही