
कान्हा गिरी छुवारे छोले
कान्हा गिरी छुवारे छोले पर राधा न बोले, कान्हा आगे पाशे डोले पर राधा न बोले. तने नै चुनड़ी लय

कान्हा गिरी छुवारे छोले पर राधा न बोले, कान्हा आगे पाशे डोले पर राधा न बोले. तने नै चुनड़ी लय

मोर मुकुट रंग कालिया मन मोह लिया, मन मोह लिया कुंडला वालिआ श्यामा, यमुना दे कंडे कंडे मुरली बजान्दा, मुरली

झोपडी बरसाने जा बनाऊगी, प्रीत श्री राधा रानी से लगाउगी, झोपडी बरसाने जा बनाऊगी, सब देख लिया है तमाशा झूठी

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा। और झूम रही दुनिया सारी, आज रंग बरस रहा॥ अबीर गुलाल के

किशोरी तेरा बरसाना लगे जान से प्यारा, देख नजारा बरसाने का झूम उठे जग सारा, किशोरी तेरा बरसाना लगे जान

वार आईया अपने सावरे ते सब कुछ वार आईया निहार आईया अपने सावरे दा मुखडा निहार आईया सखिया कहे तेरी

अनुपम माधुरी जोड़ी, हमारे श्याम श्यामा की, रसीली मद भरी मस्ती, हमारे श्याम श्यामा की ॥ कटीली भौंह, अदा बाँकी,

फुर्सत मिले तो कान्हा निर्धन के घर भी आना, सुमिरन करू मैं हर दम तेरा, दुःख ताप हर लीजिये गा

मेरे मन के मंदिर में मूरत है घनश्याम की, मेरी सांस के इकतारे में धुन है उसी के नाम की,

मेरी खुल गयी पटक देके आख नी गली दे विचो श्याम लँगीया श्याम लँगीया गली दे विचो श्याम लँगीया ऐथो