
गोविन्द गाले गोपाल गाले
जीवन की नैया किनारे लगा ले, गोविन्द गाले गोपाल गाले, दुनिया के लोग है जगसे निराले, बाहर से उजले भीतर

जीवन की नैया किनारे लगा ले, गोविन्द गाले गोपाल गाले, दुनिया के लोग है जगसे निराले, बाहर से उजले भीतर

तन तम्बूरा,तार मन अद्भुत है ये साज हरी के कर से बज रहा हरी ही है आवाज तन के तम्बूरे

मुझे राधे राधे कहना सिखादे कन्हिया तेरा क्या बिगडे वृंदावन जाऊ तेरे गुण गाऊ चरनो की धुली को माथे से

प्रेम करले सांवरे से ज़िन्दगी बन जाएगी क्यों फ़िक्र करता है तेरी भावना रंग लाएगी भावना से श्याम रीझे भावना

तू क्या जाने के जब दीवाना दुखी होता है, तेरी तस्वीर से लिपट कर बहुत रोता है, कौन सुनता है

सांवरिया मुझको देना बस इतना वरदान अंत समय मेरी जुबां से निकले तेरा नाम जय जय श्याम,जय जय श्याम, जय

एक राधा एक मीरा, दोनों ने श्याम को चाहा अंतर क्या दोनों की चाह में बोलो एक प्रेम दीवानी एक

मैं सब का होकर देख लिया बस तेरा होना बाकि है, मैं सब कुछ खो कर देख लिया बस खुद

झुलो डालो कदम्ब की डार आई सावन की झुला बहार राणा सग श्री शयाम झुले झुलन चाली सब बज की

राधा शक्ति है कृष्ण मेरे श्री भगवान्, रासलीला रचाये करे जग को निहाल, राधे राधे नाम रही रहए श्याम नहीं