
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे, क्या सजा मिली है मुझको तेरी दोस्त के पीछे, दर दर
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे, क्या सजा मिली है मुझको तेरी दोस्त के पीछे, दर दर
बनवारी थारी मूरली पे नाचू मैं घूमर घालके, सावरिया थारी मूरली पे नाचू मैं घूमर घालके, जब कान्हा की बंशी
सँवारे हाथ थाम ले आजा, ये मेरी नाव डगमगा ती है, बन के माझी किनारे पे ले जा, गम की
पल भर ये खाव्ब बन के मेरे श्याम आ भी जाओ, तेरी याद है सताई इतना भी न रुलाओ, वनवारी
तुम्हारी याद आती है बताओ क्या करे मोहन, सुबह और शाम आती है रात भर वो रुलाती है, चैन हम
अरे मेरी सूद के आके जरा रे हनुमान राम के प्यारे, तुम बजरंगी बलशाली हो करते सब की रखवाली हो,
मैं मुरली बन जाती मनमोहन मुरली वाले की जो मैं होती बांस बनोका कट मुरली बन जाती अद्रो से लग
अपना हरी है हज़ार हाथ वाला ओ दीन दयाला, मैं कहता डंके की चोट पर ध्यान से सुनियो लाला, अपना
चरणो से लिपट जाऊं धूल बन के, तेरे बंगले में लग जाऊं फूल बन के । तेरी भक्ति की खुशबू
सांवरिया मेरी मटकी में कंकरियां मत मारे, गुजारियाँ मटकी माखन की निचा क्यों ना उतारे, जब मथुरा से वापिस से