
कभी फुरसत हो तो सांवरिया निर्धन के घर भी आ जाना
कभी फुरसत हो तो सांवरिया निर्धन के घर भी आ जाना जो अपना समझ के दिया हमें कभी उसका भोग

कभी फुरसत हो तो सांवरिया निर्धन के घर भी आ जाना जो अपना समझ के दिया हमें कभी उसका भोग

सेवा में हमको लगा लो, सेवक प्रभु तुम बना लो, हम तो तेरे है खो ना जाये, बुरे कर्मो से

रस बरसे रसीली चितवन में, घुंगट है हस्त मतवाले, मन उठ क्यों वा की चितवन में, रस बरसे रसीली चितवन

वे नंद दे लाडलिया असा प्यार तेरे नाल पाया प्यार तेरे नाल पाया असा प्यार तेरे नाल पाया वे नंद

बाबा तुम कितने अच्छे हो, बाबा तुम कितने प्यारे हो, सच कहते है हम एक तुम ही अपनी अँखियो के

तरसी तरसी रे नजरियाँ आजा मनमोहना, सुनी सुनी धग्रिया आजा मनमोहना, तरसी तरसी रे नजरिया आजा मनमोहना, बिरहा अगन को

ओ छलियाँ खूब छला, मेरा ऐसा किया भला, मैं तन मन फूक चला, तेरे दर से जब निकला, ये सोचा

राधा नाम अमूलडा गेहना जिन्दे मन लै नी संता दा केहना, तू राधा राधा बोल नी जिन्दे, इस राधा नाम

तूने अखियो से पिलाई मस्ती हम को यु चडाई, मैं नाचू लेके तेरा नाम जरा सी और पिला दे श्याम

श्याम थारो नाम, लागे भक्ता ने प्यारो है, श्याम थारो नाम, लागे भक्ता ने प्यारो है, म्हारे जीने को सहारो