
उड़ जावा मोर बन के
जी करदा वृन्दावन जावा उड़ जावा मोर बन के, मोर बन के चकोर बन के, नाले नचा नाले राधे राधे

जी करदा वृन्दावन जावा उड़ जावा मोर बन के, मोर बन के चकोर बन के, नाले नचा नाले राधे राधे

तिथि अष्ठमी भाद्रपद, जन्मे कृष्ण मुरार रूप चतुर्भुज देख कर, मातु हई हैरान,बाल रूप दिखलाइये, हे प्रभु कृपा निधान।बाल रूप

यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम II परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम I धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि

मेरे बांके बिहारी ने भुलाया ब्रिज राज का संदेसा आया, चली में वृंदावन को चली चली में वृंदावन को चली,

खुशिया मनाओ मंगल गाओ, नन्द के घर आनंद है छायो रे, प्यारो प्यारो नन्दलाल है आयो रे, नाचो गाओ धूम

कन्हैया मेरे घर क्यूँ ना आयो रे घर क्यूँ आ आयो रे, मेरा माखन खाओ रे द्रोपदिका तेरी बहना लगत

मेरा दिल तडपता रेह गया निगहे कर्म की करदो प्रेम प्रशाद तुम करदों आंसुओ की बरसात है मीठी मीठी प्यास

प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा . अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं

लीला श्याम धनि से माहने भी इक बार मिल वा दे रे याह फिर इनसे मिलने का कोई यतन बता

हरी शरणम् हरी शरणम् हरी शरणम् श्री हरि शरणम् राम शरणम् राम शरणम् राम शरणम् सीता राम शरणम् श्याम शरणम्