
रोती थी कभी अँखियाँ हमारी
रोती थी कभी अँखियाँ हमारी श्याम ने दी हैं खुशियां सारी रंग लिया है अपने रंग में महक रही है

रोती थी कभी अँखियाँ हमारी श्याम ने दी हैं खुशियां सारी रंग लिया है अपने रंग में महक रही है

आज म्हारा मंदरीया मे आओ श्री नाथ जी ॥ गोपी ग्वाल साथी संगी लाओ श्री नाथ जी ॥ हरस हरस

कन्हैया लागला तुझा रे छंद मला सांग ना बोल ना.. यमुनेचा तिरी तू येशील का चोरून भेट मला देशील का

मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते , कही नज़र न लगे इनको हमारी, मेरे कुंज बिहारी बड़े प्यारे लगते कही

कान्हा मारण पूतना आयो:- कान्हा मारण पूतना आयो, जात कर्म संस्कार छठी दिन, नन्द भवन पापी कंस पठायो, कान्हा मारण

हे बनवारी तरसे है नैना रातों को नींद न दिन में है चेना हे बनवारी तरसे है नैना कैसे पता

मैं नन्दलाल ना भुलाउंगी राणा मारो या छोड़ो, मारो या छोड़ो राणा मारो या छोड़ो, श्याम का नाम ना भुलाउँगी…

अब गा तू ले वो गीत जो गाया कभी ना हो पाले मोहन सा मीत जो पाया कभी न हो

मेरे प्यारे प्यारे सुन्दर श्याम, सोलोने सुन्दर है श्याम मेरे श्याम मेरे श्याम, मेरे श्याम……… हो छलिया है बांका बिहारी

ऐसी होली तोहे खिलाऊँ, दूध छटी को याद दिलाऊँ सुनले सावरे, होली खेले तो अइयो मोरे गांव रे, होली का