
लिख दो म्हारे रोम रोम में राम राम हो रमापति
संत हमारी आत्मा और मै संतन की देह रोम रोम में रम रया प्रभु ज्यु बादल बिच महेश लिख दो

संत हमारी आत्मा और मै संतन की देह रोम रोम में रम रया प्रभु ज्यु बादल बिच महेश लिख दो

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु, मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं यदि चाह हमारे दिल में है, तूम्हे ढ़ुंढ ही

तू टेढो तेरी टेढ़ी रे नज़रिया । गोकुल तेरो टेढ़ो, वृन्दावन तेरो टेढ़ो । टेढ़ी रे तेरी मथुरा नगरिया ॥

तुम्ही मेरी नैया तुम्ही हो खवइयां संभालो कन्हियाँ, डूब रहा हु देखो जग के रचियाँ संभालो कन्हियाँ संभालो कन्हैया क्या

मेरे बिगड़े बन गये काम जपा जब देवकी माँ का नाम, तो दाऊ जी दयाल हो गये, चरणों में लिख

मत कर इतना मुझको मजबूर साँवरे, क्यूँ हो गया हैं मुझसे तू दूर साँवरे ॥ तेरी गलियों में मेरा आना

जग ने मुझको ठुकराया मैं श्याम शरण तेरी आया, सब कुछ दुनिया ने लुटा पतवार तुम्हे ही बनाया, जग ने

पाके प्रेम वाली झांजर पैरी मैं वृन्दावन नचदी फिरा, नचदी फिरा मैं तप्दी फिरा, पाके प्रेम वाली झांजर पैरी….. प्रेम

प्रेम नगर की डगर हैं कठिन रे, बटोई ना करना वसेरा पग बड़ा हो ना जाए अँधेरा, प्रेम नगर की

वृन्दावन के बांके बिहारी, हमसे पर्दा करो ना मुरारी । हम तुम्हारे पराये नहीं हैं, गैर के दर पे आये