निरखि श्याम-श्यामा छबि अनुपम
🌹देखे जब मन-मोहन मोहन प्रेमानन्द-सुधा-सागर।नित-नवरूप-महोदधि, गुण-निधि सकल कलामय, नट-नागर॥ शब्द एक निकला नहिं मुखसे, नेत्र एकटक रहे निहार।बिगलित हुआ हृदय
🌹देखे जब मन-मोहन मोहन प्रेमानन्द-सुधा-सागर।नित-नवरूप-महोदधि, गुण-निधि सकल कलामय, नट-नागर॥ शब्द एक निकला नहिं मुखसे, नेत्र एकटक रहे निहार।बिगलित हुआ हृदय
प्रभु दयासिंधु करुणानिधान।रघुनायक जग के बन्धु मित्र धृतशायक शर कलिमल निदान।।प्रभु पद प्रणीत ब्रह्माण्ड सृष्टि एकल प्रचेत वेदांग ज्ञान।तारक नक्षत्र
हमने उस परमात्मा को नटराज कहा है l एक मूर्तिकार, मूर्ति बनाता है, उसके बाद मूर्ति अलग है और मूर्तिकार
मामवलोकय पंकज लोचन।कृपा बलिोकनि सोच बिमोचन॥ नील तामरस स्याम काम अरि।हृदय कंज मकरंद मधुप हरि॥ कृपापूर्वक देख लेने मात्र से
हे प्रभो,हे विश्वम्भर,हे दीनदयाल ,हे कृपा सिन्धु,हे सर्वशक्तिमान,परब्रह्म परमेश्वर आपको प्रणाम है प्रणाम है,प्रणाम है।हे प्रभु न मै योग जानता
प्यारी जू की भौंहनि की सहज मरोर माँझ,गयौ है मरोरर्यौ मन मोहन कौ माई री ।ऐसैं प्रेम रस लीन तिलहू
प्रभु के नाम महिमा की कथा को अवश्य पढे… एक बार वृन्दावन के मंदिर में एक संत अक्षय तृतीया के
अरे नैया के खेवनहार हमें जाना हैं परले पार हरि चरणों की धुली लगते तिर गई गोतम नार अरे नैया
है आँख वो जो श्याम का दर्शन किया करे,है शीश जो प्रभु चरण में वंदन किया करे। बेकार वो मुख
बरसाना मिल गया है,मुझे और क्या कमी है,श्री जी भी तो मिलेगी,मुझको तो ये यकीं है,बरसाना मिल गया हैं,मुझे और