
बंसी की धुन
🌹🌼 प्रेम में डूबा हुआ हृदय उतना ही पवित्र है जितना की गंगाजल में डूबा हुआ कलश 🌹🌼🌹 एक बांसुरी
🌹🌼 प्रेम में डूबा हुआ हृदय उतना ही पवित्र है जितना की गंगाजल में डूबा हुआ कलश 🌹🌼🌹 एक बांसुरी
हर जन से उसका नाता हैकोई पिता,पुत्र कोई पति बुलाता हैसुन सखी तू तर्क ना कर उसे भी तो रोना
ऐसा बरसे रंग यंहा पर, जन्म जन्म तक मन भीगेफागुन बिना चुनरिंया भीगे, सावन बीना बदन भीगेऐसा बरसे रंग यंहा
जय जय सियाराम जी आरूढ़ दिव्य रथ पर रावण,नंगे पद प्रभुवर धरती पर!तन वसनहीन शिर त्राणहीन,यह युद्ध अनोखा जगती पर!!उस
जपने वाले को ही मिलता भगवान हैं नाम जप का सुखद होता परिणाम है नाम जपना नहीं इतना आसान हैगुरु
।। श्रीरामचरितमानस- उत्तरकाण्ड ।। चौपाई-सोइ सर्बगय गुनी सोइ ग्याता।सोइ महि मंडित पंडित दाता।। धर्म परायन सोइ कुल त्राता।राम चरन जा
रघुनाथ चरन जब सरन गहे अमरावती वासी का कहिये भवानी से भाव जगै उर में तब और के भाव को
।। कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।। भगवान श्री कृष्ण की दिव्य रास लीला में प्रत्येक गोपी यही सोच रही थी
हटे वह सामनेसे, तब कहीं मैं अन्य कुछ देखूँ।सदा रहता बसा मनमें तो कैसे अन्यको लेखूँ ? उसीसे बोलनेसे ही
🌹देखे जब मन-मोहन मोहन प्रेमानन्द-सुधा-सागर।नित-नवरूप-महोदधि, गुण-निधि सकल कलामय, नट-नागर॥ शब्द एक निकला नहिं मुखसे, नेत्र एकटक रहे निहार।बिगलित हुआ हृदय