
जठे बैठी सती रानी श्यानी झुंझुनू धिराणी
जठे बैठी सती रानी श्यानी झुंझुनू धिराणी दानी गगन धारा में तो नगाड़ा बाजे देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे

जठे बैठी सती रानी श्यानी झुंझुनू धिराणी दानी गगन धारा में तो नगाड़ा बाजे देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे

दिखलाये ये जोर बदलियां कितना बरस ती है, मेरे सिर पे झुँझन वाली चुनरियाँ डालके रखती है, दिखलाये ये जोर

धारा धरती विराजनो माँ , दीदी शक्ति लियो अवतार, जय हो शक्तिदादी री …. जोशी कुल ने तरियो मां ,

माँ तू सबते रेहमता करदी है, सब न दे दुखड़े हरदी है, तू किता है उपकार मइयां आज खुशियां पाइया

मेरे घर माता की चौंकी भक्तो सारे आना, सोये जागे भाग तुम्हारे मैया सब को आप पुकारे, अपनी झोलियाँ पसारे

जे नौकरी निकले द्वार ते मैनु नौकर रख लै लेना, इथे कोई सिफारिश चली नहीं, बस तेरी मर्जी चलनी है,

शेरावाली मैया दुर्गा वाली मैया नो नो रूपों वाली जय दुर्गा मैया, नवराते को जामे भक्त बुलाते झांजर झांकती तू

सुत्ती ऐ ते जाग उठ ,जाग अम्बे रानिये, अकबर कांगडे चड़ आइयो मेरी माँ, एक लख घोडा मारा सवा लख

मैं क्यों इंकार करा ओह्दी रेहमत दे वर तो, मैनु सब कुछ मिलिया है शेरावाली दे दर तो, ओह्दी शक्ति

सावन का महिना है मौसम भी सुहाना है, मैया ने भुलाया है दरबार को जाना है, सावन का महिना है