
ये गर्व भरा मस्तक मेरा प्रभु चरण धूल तक झुकने दे
ये गर्व भरा मस्तक मेरा प्रभु चरण धूल तक झुकने दे, अहंकार विकार भरे मन को, निज नज़्म की माला

ये गर्व भरा मस्तक मेरा प्रभु चरण धूल तक झुकने दे, अहंकार विकार भरे मन को, निज नज़्म की माला

ਵਾਟਾਂ ਲੰਮੀਆ ਤੇ ਰਸਤਾ ਪਹਾੜ ਦਾ, ਤੁਰੇ ਜਾਂਦੇ ਗੁਰਾਂ ਦੇ ਦੋ ਲਾਲ ਜੀ ਸਰਸਾ ਨਦੀ ਤੇ ਵਿਛੋੜਾ ਪੈ ਗਿਆ, ਉਸ

दोनों कुल की लाज लाड़ली रखना आज संभाल बाबुल का घर जन्म भूमि है कर्म भूमि ससुराल भाई की लाडो

चार वेद के शास्त्र देख लो ओम सरेखा नाम नहीं सरवन जैसा नहीं रे सेवक कोशल्या सी माता नहीं सीता

तू ही दुर्गा तू ही भवानी तू जन नी तू जग कल्याणी, तू ही सब के कष्ट निवारे,तू ऐसी वरदानी,

मूर्ति बनोंन वालेया मैनु चंडी माँ दी मूर्ति बना दे, सोहना मुख तू बना दे सोहना रूप तू बना दे,

आया है आया है देखो मैया का मेल, चल माँ के दर देख मैया के खेल, ऐसा चमत्कार माँ के

~ वो तो सिंह चढ़ आए ~ (तर्ज – मुख मुरली बजाय) वो तो सिंह चढ़ आए, मैया सिंह चढ़

आई भवानी तुझ्या कृपेने तारसी भक्ताला अगाध महिमा तुझी माऊली वारी संकटाला आई कृपा करी, माझ्यावरी, जागवितो रात सारी आज

मैं बचडा तेरा माँ तू कर मेहरा दियां छावा, मैं आया दर ते माँ दस होर किधर नु जावा, मैं