
पर्वत दिया काँवां वे
पर्वत दियां कावा वे तेथो दूर बलावा वे , मेरी माई दी गल सूना मेनू, तेनु चुरियाँ कूट कूट पावा

पर्वत दियां कावा वे तेथो दूर बलावा वे , मेरी माई दी गल सूना मेनू, तेनु चुरियाँ कूट कूट पावा

चरण तोर करव बंदना मोर दुरगा दाई॥ चरण तोर करव बंदना…. रूप हर मन भावन लागे।देखत करम जस जागे। गावत

सोहना माँ दा भवन सजा के रंग भीरंगियाँ लड़ियाँ ला के, चारे पासे खुशियाँ दा रंग बरसे नालो नाल. नि

माँ दर पे तेरे मैं आया हु, खाली झोली लाया हु, मुझे दर्श दिखा चरणों से लगा, नहीं करना माँ

सिंह पे बैठी मेरी माँ लागे बड़ी सोहनी, लागे बड़ी सोहनी लागे बड़ी सोहनी, सिंह पे बैठी मेरी माँ लागे

तेरा इन्तजार है मैया आंबे जी, हम को तुमसे प्यार है मेरी मैया जी , आपका भरोसा माँ आप का

कहता जहां दातिए तेरी ममता पे दिल कुर्बान रे, कहता जहां दातिए …. तू है शेनशाह मैं हु भिखारी तूने

माँ शारदे माँ शारदे माँ शारदे, तू ज्ञान दे वरदान दे जीवन ज्योतत कर दे, माँ शारदे माँ शारदे माँ

उचे भवना ते लगियां रोनका भर गये सब बनेरे, गिद्दा संगतां/भगता दा पेंदा अज मैया दे वेहड़े, लगियां प्रेम दियां

आज आ गई है चौंकी वाली रात ढोलिया ढोल वजा, असि नचना है सारी रात ढोलिया ढोल बजा, आज आ