
शंकर चौरा रे महामाई कर रही
शंकर चौरा रे महामाई कर रही सोल्हा रे शृंगार माई कर रही सोल्हा रे, शंकर चौरा रे महामाई कर रही

शंकर चौरा रे महामाई कर रही सोल्हा रे शृंगार माई कर रही सोल्हा रे, शंकर चौरा रे महामाई कर रही

माँ के आली रंगा ॥ आली रंगा फुलवा चुने भाई लंगुर,॥ फुलवा के मधुर सुहागे हो माँ, माँ के आली

महासर माँ तेरा जग में खेल निराला है, मेरी हर विपदा को तुम ने टाला है, माँ तेरे दम से

साहनु मैया जी दे चरना दा दिन रात सहारा है, जो मांगिये ओ मिल जांदा ऐसा दाती दा द्वारा है,

चले पवन भी खुश्बूधार ठंडी छाओ है तेरे दवार, तेरे दर न कोई दरबार आके झुकता है सारा संसार, झुकता

माँ तुझे पुकारे लाल इक बार तो आजा, तेरा बेटा है लाचार माँ इक बार तो आजा, माँ तुझे पुकारे

तेरे ही भरोसे मैं ता आज गया ठगेया, आई न समज कुझ पता भी न लगेया, रेहमता दे सागर तेरे

गली गली में ढूंढ रही हु ढूंढ रही हु कुञ्ज गलियन में, मैया अब तो आके बस जा मेरे इस

अरदास लेखे ला लो माँ करो विनती मंजुर मेरी, जींद चरना दे विच कट जावे झण्ड़ेया वाली सरकार मेरी ,

हिवड़े में वस गयो म्हारो सुंदर सो मुखड़ो थारो, चलो जी नजर उतारा महसर मात की, आज गज़ब का थाणे