श्री गोविंद देव जू प्राकट्य उत्सव विशेष
श्री गोविंद देव जू प्राकट्य उत्सव विशेष श्री कृष्ण एक ग्वाल बालक के रूप में गए तथा रूप गोस्वामी से
श्री गोविंद देव जू प्राकट्य उत्सव विशेष श्री कृष्ण एक ग्वाल बालक के रूप में गए तथा रूप गोस्वामी से

” श्रीगणेशायनम: ! अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषि: । श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।अनुष्टुप् छन्द: । सीता शक्ति: । श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे

सारतत्त्व को स्पष्ट करनेवाला सुन्दर वर्णन एक बार राम ने पूछ लिया- हनुमान तुम बता सकते हो कि तुम कौन

काली अंधियारी रात बीत चुकी अब सुर्य वंशी राम का तेज पृथ्वी पर उदय हुआ है राम राज्य कहीं बाहर

हे कृष्ण, तुम प्रेम का अध्याय हो,हर प्रीत का पर्याय हो,हर गीत का अभिप्राय होअन्याय में तुम न्याय हो हर

सतसंग वाली नगरी चल रे मना,पी ले राम जी के चरणों का तूं जल रे मना,चल रे मना, चल रे

दिन-रजनी, तरु-लता, फूल-फल, सूर्य-सोम, झिलमिल तारे।प्रतिपल, प्रति पदार्थमें तुम मुझको देते रहते प्यारे॥ कितना दिया, दे रहे कितना, इसका मिलता

मोर मुकुट माथे पे सोहे,रूप मनोहर मन को मोहे |कान्हा तेरा रूप निराला,मीरा पीती रस का प्याला || बनी बावरी

राम कथा सब विधि सुखदाई, निर्मल गंगा बहती आई |पावन होता अपना जीवन, मन मंदिर से होता कीर्तन ||मात-पिता हरषाते
ये चमक ये दमक फूलवन मा महक,सब कुछ सरकार तुम्हई से है।ये चमक ये दमक फूलवन मा महकये चमक ये