
गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम
प्रिय सुखद संसार हो तुम प्रियतम पहला प्यार हो तुम।गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम।।

प्रिय सुखद संसार हो तुम प्रियतम पहला प्यार हो तुम।गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम।।

वास्तव में धनी कौन है जिसके पास प्रभू नाम है प्रभू की कृपा है नित्य स्वयं से पूछें कि कहीं
भजमन राम चरण सुखदाई,भजमन राम चरण सुखदाई ॥ जिहि चरननसे निकसी सुरसरिसंकर जटा समाई ।जटासंकरी नाम परयो हैत्रिभुवन तारन आई

सुरज नहीं निकलेगा ओ हनुमानासंकट में पति प्राण है मानाकहे उर्मिला ना घबरानाजब तक बुटी ना पहुंचेगीसुरज नहीं निकलेगा ओ

नैया पड़ी मंझधार,गुरु बिन कैसे लागे पार,हरी बिन कैसे लागे पार। नैया पड़ी मंझधार,गुरु बिन कैसे लागे पार,हरी बिन कैसे

राम बसे है निषाद के हृदय मेंराम बसे है केवट के परक्षलिन मेंराम बसे जटायु के कटे पंखों मेंराम बसे

अयोध्या धाम सजा है मेरे दिल में प्रशन उठता है अयोध्या धाम क्या मंदिर सजा है अयोध्या धाम में प्राण

श्री राम के भक्त सुनो,ले भगवा हाथ में निकलो तुमकर दो भगवामय जग कोरंग भगवे में अब रंगलो तुमदर्शन करके

राम लखन भरत शत्रुघ्न बीच में जानकी माई हैं मारुति नन्दन संग बिराजे ,, निरख रहे रघुराई हैंबरसों बाद अयोध्या

।। जय जय जय बजरंगबली ।। मंगल-मूरति मारुत-नंदन।सकल-अमंगल-मूल-निकंदन। पवनतनय संतन-हितकारी।हृदय बिराजत अवध-बिहारी।। मातु-पिता, गुरु, गनपति, सारद।सिवा-समेत संभु, सुक, नारद।। चरन