
बरसा दाता सुख बरसा,
बरसा दाता सुख बरसा,आँगन आँगन सुख बरसा,चुन चुन कांटे नफरत के,प्यार अमन के फूल खिला।तन से कोई है दुखी,मन से

बरसा दाता सुख बरसा,आँगन आँगन सुख बरसा,चुन चुन कांटे नफरत के,प्यार अमन के फूल खिला।तन से कोई है दुखी,मन से

एक दीन द्वारे आया हैं, एक दास द्वारे आया हैं हरि दीन तो गया अब सांझ भई, चहुंओर अंधेरा छाया

हे गोविंद….निगाहों में तुम हो ख्यालो में तुम हो, ये जन्नत नही है तो फिर ओर क्या है, मेरे दिल

पतंगोत्सव 🔹 मेरे दिल की पतंग मेंश्याम की डोरतू लगाईं देना………. मेरे दिल की पतंग मेंश्याम, की डोरतू लगाईं देनाकहीं

हाेरी के रसिया की जयहोरी खेलन पधारो श्री वृन्दावन में।।श्यामा खेलन पधारो श्री वृन्दावन में।राधे खेलन पधारो श्री वृन्दावन में।।श्री

हरे कृष्ण प्रभु हरे राम का,किरतन जब हम गाते हैं। वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में,हरि दर्शन हम पाते हैं।।

तो संसार सागर से तरते रहोगे ॥कृपानाथ बेशक मिलेंगे किसी दिन ।तो सत्संग पथ से गुजरते रहोगे ॥चढोगे हृदय पर

हे श्री कृष्ण…. धन्यवाद प्रभु तुमने हमको,अपना ये अंश स्वीकार किया।आकार दिया, प्रकार दियामन, वाणी और विचार दिया,अपनी इस पावन

हे हरि अब न मोहि बिसारो..जन्म जन्म भटकत मोहि बीते…अब तो मोहि आन उबारो…हे हरि अब न मोहि बिसारो.. गिरिधर

नाम दिल से ना भूलो कृष्ण काये भुलाने के काबिल नहींबडी मुश्किल से नर तन मिला हैंयह गवाने के काबिल