हमें कुछ दो न दो भगवन
हमें कुछ दो न दो भगवन ! कृपा की डोर दे देनातुम्हारी हो जिधर चर्चा , हृदय उस ओर दे
हमें कुछ दो न दो भगवन ! कृपा की डोर दे देनातुम्हारी हो जिधर चर्चा , हृदय उस ओर दे

मस्तक ऊँचा हुआ मही का,धन्य हिमालय का उत्कर्ष।हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा,भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥ हरा-भरा यह देश बना करविधि ने रवि का

तेरी अंखिया हैं जादू भरी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी ।सुनलो मेरे श्याम सलोना, तुमने ही मुझ पर कर

प्राणों के आने से पहले, प्राणों को बुलवाता है,प्राणी को कर चैतन्य वही , चैतन्य स्वयं कहलाता है|परिधि में जो

॥ दोहा ॥बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम,राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥कीरति गाथा जो पढ़ें

ॐ श्रीरामजयम्। ॐ भूमिपुत्र्यै च विद्महे, रामपत्न्यै च धीमहि। तन्नः सीता प्रचोदयात्।। सीता श्रीरामसज्जाया सानन्दवाक्स्वरूपिणी।सा सम्पूर्णसुमाङ्गल्या ज्वलदग्निशुचिस्फुरा।।१।। मदम्बा श्रीमहालक्ष्मीर्मच्चित्तविलसत्प्रभा।क्षमागुण्यातिसान्त्वा मा

सोमवार, 5 मई, 2025विक्रमी संवत 2082, शक संवत 1947‘वैशाख माह’ शुक्ल पक्षनक्षत्र: अश्लेषाराहु कालम: 7:17 प्रातः से 8:57 प्रातःअष्टमी/नवमी तिथिमां

ब्रह्मा विष्णु करें आरती, शंकर गाएं गाथासुर रक्षिणी असुर भक्षणी,जय हो सीता माता आदि अनादि जगदंबा तुम, अखिल विश्व की

परमपिता ब्रह्मा ने परमात्मा परंब्रह्म शिव की इस स्तोत्र द्वारा उपासना की थी। इसीलिए इस स्तोत्र को ब्रह्मा कृत माना

साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप । जांके हिरदे सांच है, ताके हिरदे आप ॥ सरस्वती के भंडार की,