
आनंद छाय रहे बरसाने,नित नित होवे मंगलचार।।
आनंद छाय रहे बरसाने,नित नित होवे मंगलचार।।ब्रजभूमि सब जग तें न्यारी, जन्म लियो जहां राधा प्यारी।अष्टसिद्ध शतकोट बसें जहां,वेद न
आनंद छाय रहे बरसाने,नित नित होवे मंगलचार।।ब्रजभूमि सब जग तें न्यारी, जन्म लियो जहां राधा प्यारी।अष्टसिद्ध शतकोट बसें जहां,वेद न
Beautiful poem on 7 chakras written by some divine soul सात मंजिला देह मिली है,सात चक्रों से सजा मकान ।क्यों
मंगल की सेवा सुन मेरी देवी हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े। पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वालातेरी भेंट करें।। सुन
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरि हरि।। भज मन नारायण नारायण हरि हरि।जय जय नारायण
कभी नर सिंह बन कर, पेट हिरणाकुश को फाड़े,कभी अवतार लेकर, राम का रावण को संहारे कभी श्री श्याम बन
आजु सुफल तपु तीरथ त्यागू।आजु सुफल जप जोग बिरागू।। सफल सकल सुभ साधन साजू।राम तुम्हहि अवलोकत आजू।। लाभ अवधि सुख
राम रसायन तुम्हारे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा।। यह रामरसायन क्या है,आईये जानते हैं।तुलसीदासजी लिखते हैं कि यदि हमें जीवन
बांसुरी बजाय तुम व्रज बस कीन्हों।तोहि बस करिबे को बांसुरी बजाइहौं।। भगवान ने देखा, मुरली नहीं है। समझ गये श्री
अध्याय १मोह ही सारे तनाव व विषादों का कारण होता है । अध्याय २शरीर नहीं आत्मा को मैं समझो और
Sri krishna janmaashtami kiHardik badhai.Sri radhey jiप्रेम का सागर लिखूं!या चेतना का चिंतन लिखूं!प्रीति की गागर लिखूं,या आत्मा का मंथन