दशरथ के घर जन्मे राम
दशरथ के घर जन्मे रामओ मंगल भवन अमंगल हारी,द्रवहु सु दशरथ अजर बिहारी,राम सिया राम सिया राम जय जय राम……
दशरथ के घर जन्मे रामओ मंगल भवन अमंगल हारी,द्रवहु सु दशरथ अजर बिहारी,राम सिया राम सिया राम जय जय राम……
शिव हर शंकर नमामी शंकर शिव शंकर शंभो,हे गिरिजापती भवानी शंकर शिव शंकर शंभो!! तीनों लोक के पालनहार ।तुमको नमन
जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥ तज्यो पिता प्रहलाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी। बलि
हे जगजननी हे अम्बे माँ, कृपा करो जगदम्बे माँकृपा करो जगदम्बे माँहे जगजननी हे अम्बे मां, कृपा करो जगदम्बे माँ
आप सभी मुझे दोष दे रहे हैं ।मेरा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहींजरा सोचें और विचार करें
मेरे मन-मन्दिर में, तेरा उजियारा है, जगदम्बे, मां दुर्गे मुझे तेरा सहारा है ॥ टेर ॥ तू ही ब्रह्माणी है,
तुम झोली भर लो भक्तों…रंग और गुलाल सेहोली खेलेंगे अपनेगिरधर गोपाल से कोरा-कोरा कलश मंगाकर…उसमें रंग घुलवाया,लाल गुलाबी नीला पिला…केशर
सनातन ताल से ताल मिलाराम जी का धनुष बाण शिवजी का डमरू, कान्हा की बंसी ओ राधा के घुंघरूजो भुले
परात्मानमेकं जगद्विजमाद्यं निरीहं निराकारमोङ्कारवेद्यम् । यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम् ।। श्रीमच्छंकराचार्यविरचित वेदसारशिवस्तव शिव शंकर
रंग डार गयो री मोपे सांवरा, मर गयी लाजन हे री मेरी बीर, मैं का करूँ सजनी होरी में, रंग