
साईं जी तहानु तक तक के जीवा
साईं जी तहानु तक तक के जीवा, अंखिया राही दर्शन करके नित अमृत पीवा, सुख विच शुकर मनावा ते मैं

साईं जी तहानु तक तक के जीवा, अंखिया राही दर्शन करके नित अमृत पीवा, सुख विच शुकर मनावा ते मैं

ऐसा क्या काम किया हमने तेरा जो मेरा हाथ तूने थाम लिया मेरी जिंदगी ही बदल दी तूने क्या ज़रा

मैं निमाणी करां अरजोई किरपा निधान प्रभु ठाकुर जीयो, तुझ बिन नैनं नींद न आवे मोरे राम राम रहीम मोरे

साचे मेरे साहिबां तेरे कवन गुण गावा किया कार कमावा किया कहे रिजावा साचे मेरे साहिबां तेरी वधियाई तुध ते

मैं रोज उडीका लाईया ने कद साईं मेरे वल आवे गा, जेह्ड़ी राह विच अखियाँ वसाईया ने कद आके फेरा

इसका भेद बता मेरे अवधू साबुत करनी करता तू डाली भूल जगत में कैसी, जहां देखूं वहां तू का तू.

वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु वाहेगुरु तेरा सब सदका वाहेगुरु तेरी सब रचना वाहेगुरु वाहेगुरु मिठ बोल्डा जी मिठ बोलडा, हरी

दशा मुझ दीन की भगवन सम्हालोगे तो क्या होगा, अगर चरणों की सेवा में लगा लोगे तो क्या होगा, नामी

अपने ही रंग विच रंग कांशी वालेया, हथ जोड़ तेरे अगे अरजा करदे रही साडे अंग संग अपने ही रंग

तेरे चरणों में मैंने जब से गुरु जी अपना शीश झुकाया है, बिन मांगे भर दी झोली मेरी तुझसे ही