भरी हुई रस की गगरिया सा मीठा
भरी हुई रस की गगरिया सा मीठा, सिया राम कहो हरी राम कहो प्रभु राम रे, प्रीतम की प्रीती विश्वाश
भरी हुई रस की गगरिया सा मीठा, सिया राम कहो हरी राम कहो प्रभु राम रे, प्रीतम की प्रीती विश्वाश
ऐसो को उदार जग माहीं, बिन सेवा जो द्रवै दीन पर राम सरिस कोए नाहीं। जो गति जोग बिराग जतन
शाम सवेरे देखु तुझको कितना सूंदर रूप है, तेरा साथ है ठंडी छाया बाकि दुनिया धुप है, जब जब भी
राम लखन माता जानकी मैंने सपने में देखें, चरणों में बैठे हनुमान जी मैंने सपने में देखें, चारो तरफ उनके
जरा चल के अयोध्या जी में देखो राम सरयू नहाते मिले गे, जन्म भूमि पे मंदिर मिला गा जिसके रखवाले
जय श्री राम जाई श्री राम श्री राम को भूल ना जाना श्री राम से सब है पाना जो कभी
दीपावली का आया है शुभ त्यौहार, जलाये दीप घर घर मिटाये अंधकार फुलझड़ियां जलाये खुशियां मनाये सब मिल के अपार,
घडी आ गई है फैसले की जोश राम भक्तो का जगा है , हिन्दू होने का सभी को अब प्रमाण
राम की महिमा अपार राम की गरिमा अपार, पिता वचन की राखी लाज त्याग दियो राज साज, सिया लखन संग
मैं हू हनुमान और ये देश मेरा राम है चीर के देखलो छाती मेरी दिल में हिन्दुस्तान है भगवा रंग