माता सीता केहन्दी हनुमान नू
माता सीता केहन्दी हनुमान नू, मेरा देयो संदेसा श्री राम नू, अग्नि बिरहा दी सही ना जावे, दासी राम ही
माता सीता केहन्दी हनुमान नू, मेरा देयो संदेसा श्री राम नू, अग्नि बिरहा दी सही ना जावे, दासी राम ही
राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गली । ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला
अरि मध्य दिवस न मी तिथि ना अति शीत ना घाम ओ ओ कौशल्या के लाल बन प्रकट भए श्री
जय रघुनन्दन जय सियाराम | हे दुखभंजन तुम्हे प्रणाम || भ्रात भ्रात को हे परमेश्वर, स्नेह तुन्ही सिखलाते | नर
राम जपो जी ऐसे ऐसे, ध्रव प्रलाह्द जपियो हर जैसे, राम जपो जी ऐसे ऐसे, दीं दयाल भरोसे तेरे, सब
हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा ॥ वाल्मीकि अति दुखी दीन था, बुरे कर्म में सदा लीन था
मैं तो संग जाऊं बनवास, स्वामी ना करना निराश, पग पग संग जाऊं जाऊं बनवास, हे मैं तो संग जाऊं
हे राम मेरे राम, हे राम मेरे राम, हे राम मेरे राम, हे राम मेरे राम, सत्य जगत बस राम
आरती करिये सियावर की, अवधपति रघुवर सुंदर की, जगत में लीला विस्तारी कमल दल लोचन हितकारी , मुख पर अलके