यह बिनती रघुबीर गुसांई
यह बिनती रघुबीर गुसांई, और आस बिस्वास भरोसो,हरो जीव जडताई, चहौं न कुमति सुगति संपति कछु,रिधि सिधि बिपुल बड़ाई, हेतू
यह बिनती रघुबीर गुसांई, और आस बिस्वास भरोसो,हरो जीव जडताई, चहौं न कुमति सुगति संपति कछु,रिधि सिधि बिपुल बड़ाई, हेतू
लक्ष्मण सा भाई हो कोशाल्याँ माई हो, स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो. नगरी हो अयोय्ध्या सी रघु कुल सा
राम कहने से तर जाएगा, वरना घुट घुट के मर जाएगा । भक्ति भावो से देखेगा जब, बस वो ही
फुला नु न तोड़ मालने, एहना फुला च श्री राम वसदे, श्री राम वसदे श्री राम वसदे, फुला नु न
मेरे राम रघुनाथ तेरी जय होवे नित्य-प्रति गुण मैं तेरे गाउँ तेरे चरणों मे शीस निवाऊँ गद-गद हो कर तुम्हें
दीप जगे हर घर में हर घर में मने दीवाली हाथ जोड़ अरदास गुरु जी बक्श देयो खुशहाली दीप जगे
शरण में लेलो हे श्री राम बन जायेगे बिगड़े काम दुनिया में दुःख सेहते सेहते हम तो सभी गबराए है
राम लला घर आये गाओ मंगल गीत सखी री, आओ जलाए दीप सखी ऋ सरयू जल अंगना छिडकाये छप्पन रंग
ओ संतो सुरगा सो आगियो रे संदेश बुलावो आ गयो राम को, इक मिनट प्रभु देर करो तो करू बेटा
जननी मैं न जीऊँ बिन राम, राम लखन सिया वन को सिधाये गमन, पिता राउ गये सुर धाम, जननी मैं