
आरती उतार लो सीता रघुवर की
आरती उतार लो सीता रघुवर जी की लक्ष्मण भरत शत्रुघ्नन के संग पवन तने जी की आरती उतार लो सीता

आरती उतार लो सीता रघुवर जी की लक्ष्मण भरत शत्रुघ्नन के संग पवन तने जी की आरती उतार लो सीता

मंदिर सोने का बनाये गे चांदी की ईट लगाएंगे, चाँद तिलक लगा के हम परिवार राम का बिठाये गे, मंदिर

राम किया सुख उपजे और कृष्ण किया दुःख जाये एक बार हरी ॐ रटे तो भव बंधन मिट जाय बोल

ज़रा आ शरण मेरे राम की, मेरा राम करुणा निधान है घट घट में है वही रम रहा, वही जगत

राम को देख कर के जनक नंदनी भाग में वो खड़ी की खड़ी रेह गई राम देखे सिया को सिया

सेना चली श्री राम की सेना चली श्री राम की धरती काँपे अम्बर काँपे जब नारा लगे श्री राम की

हम लंका जलायेगे चलो मैया को लाये गे, रावण का ये एहंकार हम तोड़ के आएंगे, जय श्री राम बोलो

ये भाग्य अभागे का जगा दो हे राम जी, करुणानिधान भोग लगा दो हे राम जी, शबरी के मीठे बेर

सोच विचार में रावण जागे, कौन बचा अब मेरे आगे, कल तक जो युद्ध में लंका, कौन बजाए विजय की

कैसे बैठा रे आलस में मुख्य से राम कह्यो न जाये, भौर भये मल मल मुख धोये दिन चढ़ते ही