
कण कण में जो रमने वाला घट घट में समाया है
कण कण में जो रमने वाला घट घट में समाया है जिसका नाम, त्रेता के है विष्णु अवतरण दसरथ सूत

कण कण में जो रमने वाला घट घट में समाया है जिसका नाम, त्रेता के है विष्णु अवतरण दसरथ सूत

हरे राम रे हरे राम रे, ये कैसा प्यारा नाम है, हरे राम रे हरे राम रे, कोश्याला माँ का

श्री राम जी का मंदिर सुन्दर बनाएँगे हम सुन्दर बनाएँगे हम मिलकर बनाएँगे हम देखेगी सारी दुनिया मंदिर की भव्यता

साड़े वेहड़े विच पैन लिशकारे के साड़े घर राम आ गये, कदी वेहड़े टपा टपा मैं चुबारे के साड़े घर

श्री रामचंद्र जी की मिथिला बरात आई घर-घर बजी बधाई घर-घर खुशी मनाई, अपनी अटारिया पर भामिन झरोखे ठाड़ी कह

राम अर लछमण दशरथ के बेटे दोनों बण-खंड जाएँ … हे जी कोई राम मिले भगवान एक बण चाल्ये, दो

राम नाम सुखदाई भजन करो भाई ये जीवन दो दिन का ये तन है कागज की पुड़ियाँ, हवा चले उड़

अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे, तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥ हमारे लिए क्यों देर किए हो, हमारे

चलो देख आये री राजा राम की नगरियाँ, राम की नगरियां सियां राम की नगरियां, चलो देख आये री राजा

ओ मैं तो राह बुहारूं, ओ मेरे राम आएंगे। बैठे बाट निहारूं, हाँ मेरे राम आएंगे । हाँ मेरे राम