देखे अवध हरसा के जनम
अरि मध्य दिवस न मी तिथि, ना अति शीत ना घाम ओ ओ, कौशल्या के लाल बन, प्रकट भए श्री
अरि मध्य दिवस न मी तिथि, ना अति शीत ना घाम ओ ओ, कौशल्या के लाल बन, प्रकट भए श्री
बैर तोड़ तोड़ झोली विच पावे बिलनी कंडा चुबे ते राम राम करे बिलनी असा सुनिया के राम साड़ी गली
प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम, राम राम राम, श्री राम राम राम | पाप कटें दुःख मिटें
जानकी नाथ सहाय करें जानकी नाथ सहाय करें जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो, सुरज मंगल सोम भृगु सुत बुध
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये तुलसी अपनी रामायण में कह गये राम मर्यादा सिखाने आये थे धर्म के
अवध में हो रही जय जय कार आज है राम लला आये, राम लला आये अवध में राम लला आये,
राजा श्री राम खजाने बेठे खोल के, सीता जी के राम खजाने बैठे खोल के, राजा श्री राम खजाने बेठे
अवध पूरी के राज दुलारे घर आये श्री राम दीप जलाओ मंगल गाओ करते रहो गुणगान मन मंदिर में झाँक
बिरथा में अपन माला डार रहे का हो वोतो पापियन को तार रहे खर-दूषण धरती पर कितनो अत्त कये थे
दोहा: राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट । अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेंगे छूट ॥ तेरे