कुटिआ दे विच राम मेरे आएंगे
कुटियाँ दे विच राम मेरे आनगे, करके दीदार आज भाग खुल जानगे, कुटियाँ दे विच……. सरी उतो जा के जल
कुटियाँ दे विच राम मेरे आनगे, करके दीदार आज भाग खुल जानगे, कुटियाँ दे विच……. सरी उतो जा के जल
रोये रोये दशरथ कहे यू पुकार के रामा रामा राम राम जाओ न छोड़ के कैकई ने कैसा ये रिश्ता
जय जय श्री राम, तेरे पावन पावन नाम, प्रभु जी रघुकुल नंदन प्रभु जी भव भाह बंजन, बनादे मेरे बिगड़े
14 वर्षो बाद अवध में जब लोटे श्रीरामजी, दीपावली से जग मग हो गया सारा धरती धाम जी तीनो लोक
राम भजन कर प्राणी तू तेरी दो दिन की जिंदगानी, तू राम भजन कर प्राणी काया माया बादल छाया, मूरख
राम लखन दोनों बाल नी सीता नाल नी तीनो तुर चले वन नु, पानी विच अखियां डूभ गइयाँ जी आग
प्रभु मोरी नैया पार उतारो मैं डूबत हु मज्धारो प्रभु मोरी नैया पार उतारो भव सागर जल दुश्तल भारी सुजत
सारे पा लो जी राम नाम दा गहना, मिलजुल पा लो जी राम नाम दा गहना, राम नाम दा गहना
सिया हौले हौले चले ससुराल गलियां ससुराल गलियां अवध की गलियां रानी कौशल्या आवे बलि बलि जावे राजा दशरथ लूटावे
अश्रुधारा रूकती नही है मेरे मुह को कलेजा आ रहा भाई लक्ष्मण मुर्षित पड़े है, मेरा दम निकलता जा रहा