
हे रामचन्द्र कह गए सिया से
हे रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलजूग आएगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा धरम भी होगा कर्म

हे रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलजूग आएगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा धरम भी होगा कर्म

कलयुग केवल नाम अधारा , सुमिर सुमिर नर उतर ही पारा , श्री राम जय राम, जय जय राम, मैं

रावण की जिसने लंका जलाई सीता माता की खोज कराई असुरो के दल ने तबाही मचाई सब से ताकतवर राम

ऐना आशका दे नचने दा ढंग वेखले। श्री राम तेरे नचदे मलंग वेखेले॥ चाली इक्की दिना दे व्रत बनाये ने।

तेरा नाम जपु हर वक़्त-वक़्त,तेरा नाम जपु हर वक़्त-वक़्त, रहो राम नाम मे होश-होश,ओर बात समझलो ठोस-ठोस, नही तेरा कोई

रघुकुल में सूर्य समान हो तुम हे राम तुम्हारी जय होवे, असुरों के लिए कृशानु हो तुम हे राम तुम्हारी

ऊऊओ सर पे मुकुट सजे मुख पे उजाला मुख पे उजाला हाथ धनुष गले में पुष्प माला हम दस इनके यह सबके स्वामी अंजान

मेरे तन में भी राम मेरे मनन में भी राम रोम रोम में समाया तेरा नाम रे मेरी सांसो में

राम नाम की माला जपले धार ले मन व धीर, पीढ़ सब मिट जायेगी,पीढ़ सब मिट जायेगी, पत्थर की हुई

आए हैं प्रभु श्री राम, भरत फूले ना समाते हैं । तन पुलकित मुख बोल ना आए, प्रभु पद कमल