सुनी है तेरी जादूगरी
तुम्हे जाने सकल संसार सुनी है तेरी जादूगरी मांझी मुझ पे करो ये उपकार हमे जाना है गंगा के पार
तुम्हे जाने सकल संसार सुनी है तेरी जादूगरी मांझी मुझ पे करो ये उपकार हमे जाना है गंगा के पार
जूठकी बईरीया सेवरी लाए भरी दोना भोगवा लगाव तारे अवध के सलोना । हम वन वासी के ईहे बा अहरवा
पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम ll,, “जिसको छोड़ोगे ll, पलभर में डूब जाएगा” पार होगा वही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तैरना क्या जाने,
भारत की इस सीधी भूमि पर अवधपुरी है धाम, राम की अलख जगाना है राम की अलख जगाना है, राम
जलाओ दीप घर घर में मेरे प्रभु राम आये है लगे दुल्हन सी अवध नगरी मेरे प्रभु राम आये है
पायो निधि राम नाम, पायो निधि राम नाम । सकल शांति सुख निधान, सकल शांति सुख निधान ॥ पायो निधि
ॐ सुंदरम् ॐ राम सुंदरम् : ॐ सुंदरम् ॐ राम सुंदरम् , ह्रीं सुंदरम् ह्रीं राम सुंदरम्, श्रीं सुंदरम् श्रीं
आते जाते हुए गुनगुनाया करो राम बोला करो राम गाया करो रिश्ता रखते हो जैसे तुम संसार से मोह बंधन
बोल रे सुबह सुबह मीठी मीठी वाणी लेले रे मुख से नाम राम का प्राणी दो आखर का नाम यह
जनम सफल होगा रे बन्दे, मन में राम बसा ले। जय राम राम के मोती को, साँसों की माला बना