जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे, काको नाम पतित पावन जग,केहि अति दीन पियारे, कौन देव बिराई बिरद हित,हठि हठि अधम
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे, काको नाम पतित पावन जग,केहि अति दीन पियारे, कौन देव बिराई बिरद हित,हठि हठि अधम
राम रहीमा एकै है रे, काहे करौ लड़ाई, वहि निरगुनिया अगम अपारा, तीनो लो.क सहाई… वेद पधन्ते पंडित होवे, सत्यनाम
राम वसदे ने अंदर तेरे, तू बाहर कानू लब्दा फिरे, मंदिर जावे मस्जिद जावे जावे गुरुद्वारे, मन विच तेरे घोट
सिय सियावल्लभ लाल की सखि आरति करिए । दंपति छवि अवलोकि के निज नयना धरिए ॥ अंग अनूप सुहावने पट
वन वन में राम भटकते है मेरी सिया गयी तो कहा गयी गंगा तू बता यमुना तू बता सागर की
बोल हरी बोल हरी हरी हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल , गौतम नार उद्धार कियो प्रभु,आगे चल बढ़के रघुराई,
मेरे प्रभु श्री राम की सब से उची शान है, भारत का बच्चा बच्चा रे राम पे कुर्बान है, बजरंग
दोहा: पूजा जप ताप मैं नहीं जानू, मै नहीं जानू आरती | राम रतन धन पाकर के मै प्रभु का
अवध में हो रही जय-जयकार आज है राम लला आये, आज अवध में चारो और ये भगवा रंग है छाया
चोख पुरावो माटी रंगावो आज मेरे प्रभु घर आवेंगे खबर सुनाऊ जो ख़ुशी ये बताओ जो आज मेरे प्रभु घर