
नखसिख छविधर की
नखसिख छविधर की। आरती करिये सियावर की॥ लालपीत अम्बर अति साजे। मुख निरखत पूरण शशि लाजे। चंदन खोर भाल पर

नखसिख छविधर की। आरती करिये सियावर की॥ लालपीत अम्बर अति साजे। मुख निरखत पूरण शशि लाजे। चंदन खोर भाल पर

महिमा भारी तिलक की , को कर सके बखान |आप तिलक को मानिये , श्री विष्णू भगवान || जिसके माथे

रामनवमी सुहानी मन भावनि राम जी को संग लेके आई, राम जन्म पर धरती को अम्बर भेजे रे भेजे वधाई,

परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन, कृपा के बिना काम चलता नहीं है, निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,

राम नाम जपते रहो, जब तक घाट घाट में राम राम भाजो, राम रातो, राम साधो राम राम राम की

मुझे इतनी शक्ति देदो राम के तेरा नाम जपं नही छोडू, बस हर बुराई को छोडू मगर तेरा नाम जपं

श्री राम नगरी वसे सरयू के तीरे यहाँ कण कण में राम, यहाँ घर घर श्री राम, यहाँ कल कल

श्री राम लिखे तो मिटे कैसे भगवान् लिखे तो टले कैसे, पानी की नाव पानी में चले, जब रेट मिले

*परम सौंदर्य जिसने जाना, जग सुंदरता गई हेराई। सिया स्वयंवर राम जब पहुंचे, प्रमुदित भये देख पुरवासी। जिनकी रही भावना

राम जपले मना राम जप ले, ओ बंदे जपले तू राम जी दा जे तू मना पार लंगना, राम तार