राम सुमीर ले भटके मनवा पायेगा आराम
माया के सब बंधन झूठे फिर क्या जगत से काम राम सुमीर ले भटके मनवा पायेगा आराम मिटी की तेरी
माया के सब बंधन झूठे फिर क्या जगत से काम राम सुमीर ले भटके मनवा पायेगा आराम मिटी की तेरी
राम तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूं ।घनश्याम के चरणों में मै दर्शन करने आया हूँ ॥ राम
मन में है ठाना अय्धोया है जाना होता मंदिर का निर्माण है मंदिर नही वो माँ भारती की अंमित सी
कहो मन से राजाराम रमजा चित्रकूट में ॥ चित्रकूट में घर घर तुलसी पूजे शालिग्राम रमजा चित्रकूट में ॥ चित्रकूट
मानुष चोला नहीं मिलना बाराम बार बन्दियाँ, जपले राम नाम ज़िंदगी सुधार बन्दियाँ, मानुष चोला नहीं मिलना बाराम बार बन्दियाँ,
इस संसार की गतिविधियों पर नही अधिकार किसी का है जिसको हम परमात्मा कहते ये सब खेल उसी का है
के दुनिया वालो अब फिर राम धनुष उठ आया है मंदिर का ध्वजा लहराया है फिर से राम राज्य का
मेरे मन में बस गये राम अपने अपने घरन की सब काहू को पीर तुम्हे पीर सब घरन की धन्य
ठुमक ठुमक चले राम लला प्रभु बाजे छमा छम माल भवन विच कर धन की झंकार हो रामा रामा गूंजे
हम राम के दीवाने सही बात कहेगे, सारे जहां में राम की हुंकार भरेगे, हम राम के दीवाने सही बात