सोने के सिंगाशन बेठ रहे भगवान है
जन्म भूमि का हो रहा निर्माण है तम्बू से सिंगाशन बेठ रहे भगवान है मंगल भवन अम्ग्ल हरी दवु सुदाश्त्थ
जन्म भूमि का हो रहा निर्माण है तम्बू से सिंगाशन बेठ रहे भगवान है मंगल भवन अम्ग्ल हरी दवु सुदाश्त्थ
अब राम लला आये है हुए राम भक्त खुशहाल अवध में राम लला आये है, सरयू मैया की धारे कहे
तम्बू में ही रहे अब मेरे राम जी, ये तो हम हिन्दूयो को गवारा नहीं, आखिर क्यों हो रहा है
नी फुलवाड़ी वालिये सीता पा दे खैर फकीरा नु, पा दे खैर फकीरा नु पा दे खैर फकीरा नु, नी
अस कछु समुझि परत रघुराया बिनु तव कृपा दयालु दास-हित मोह न छूटै माया ॥ जैसे कोइ इक दीन दुखित
जब राम गये वनवास अवध के वासी हुए उदास १४ वर्ष तो बहुत दूर कैसे कटा था इक इक मॉस
बाजे अयोध्या में बधाई देखो जी देखो जन्मे प्रभु राम भाग जागे रे अवध के रे छाई देखो मुखड़े पे
नाच नाच के नाच नाच के होती नहीं है बस राम के भक्त बड़े ही मस्त, राम नाम का अमृत
रहे जनम जनम तेरा ध्यान, यही वर दो मेरे राम सिमरूँ निश दिन हरि नाम, यही वर दो मेरे राम
ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में हाय री तैने का ठानी मन में,