जिसकी नैया राम भरोसे डोल भले सकती है
जिसकी नैया राम भरोसे डोल भले सकती है डूब नही सकती है , जिसकी नैया राम भरोसे डोल भले सकती
जिसकी नैया राम भरोसे डोल भले सकती है डूब नही सकती है , जिसकी नैया राम भरोसे डोल भले सकती
अब आ जाओ मोरे राम राह तके तेरी शबरी, तेरी शबरी बड़ी बेसबरी, अब आ जाओ मोरे राम राह तके
लीला अद्भुत न्यारी थी जब अवतारी श्री राम हुए त्रेता युग के कोरव बन कर इश्वर का इक नाम हुए
ये समय समय का फेरा है कब क्या हो किसने जाना है राज तिलक की थी तैयारी हर्षित थी नगरी
आए हैं प्रभु श्री राम,भरत फूले ना समाते हैं,तन पुलकित मुख बोल ना आयेप्रभु पद कमल रहे को धाये,भूमि पड़े
अपने ही मन से राम को भुलाय के सजा पइहो मनवा हरी विश्राय के गर्भ में पहिले कौल करि आयए
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् । नवकञ्ज लोचन कञ्जमुख कर कञ्जपद कञ्जारुणम् ॥ १ ॥ कंदर्प अगणित अमित
राहों में फूल बिछाऊँगी, जब राम मेरे घर आएंगे.राम मेरे घर आएंगे, जब राम मेरे घर आएंगे,राहों में फूल बिछाऊँगी,
ऐसे हैं मेरे राम, ऐसे हैं मेरे राम॥विनय भरा ह्रदय करे सदा जिन्हें प्रणाम। ह्रदय कमल, नयन कमल,सुमुख कमल, चरण
दो अक्षर का बोल है राम नाम अनमोल हैमन को पावन करने वाला ये अमृत का घोल हैदो अक्षर का