
प्रभु मुझ अनाथ पर दया कीजिये
प्रभु मुझ अनाथ पर दया कीजिये आप अपने चरणों को धुला लीजिये मेरे घट आ गए है चरण को बढाईये

प्रभु मुझ अनाथ पर दया कीजिये आप अपने चरणों को धुला लीजिये मेरे घट आ गए है चरण को बढाईये

सिया राम का नाम आएगा अब हर इक जुबान पे जय जय सिया राम जय जय सिया राम, सिया राम

इस संसार के सब पापी का तुम करदो संघार मेरे रामजी भगवान जी हर पापी की नैया प्रभु जी डूब

जाने दुनिया जाने सारा जमाना, श्री राम का दीवाना हो गया, दर छोड़ के मुझे नहीं जाना , श्री राम

देख ख़ुशी से झूम रहा है पूरा हुआ अरमान, यहाँ पे जन्म लियत श्री राम वही होगा मंदिर का निर्माण,

जाके प्रिय ना राम-बैदेही, सो छाड़िये कोटि बैरी सम, जद्यपि परम स्नेही | तज्यो पिता प्रह्लाद, विभिसन बंधू, भारत महतारी

धुन- धरती सुनहरी अंबर नीला उनसे कहना राम राम, वोह कहेंगे राम राम वोह कुछ भी सुनते नहीं, बस सुनेगे

मन गाए मेरा मन गाए राम जी का नाम मेरा मन गाये मन भाये मेरे मन भाये पावन अयोध्या धाम

जय राम रमारमणं समनं । भव ताप भयाकुल पाहि जनं ॥ अवधेस सुरेस रमेस विभो । सरनागत मागत पाहि प्रभो

रामचरितमानस पाठ के शुभ फलदायक सम्पुट चौपाई मंत्र: मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सु दसरथ अजिर बिहारी । सुमिरि पवनसुत