भज मन सीता राम
भज मन सीता राम ममता मई मात जानकी रघुनंद सुख धाम भज मन सीता राम हर जन जन है मुस्काया
भज मन सीता राम ममता मई मात जानकी रघुनंद सुख धाम भज मन सीता राम हर जन जन है मुस्काया
हरे राम हरे राम, हरे कृष्णा कृष्णा ll, *भज ले रे बंदे मन की ll, मिट जाए तृष्णा, मिट जाए
भूमि पूजन हुआ हो गई तयारी भगती उमंग में नाचे नर नारी, राम नाम दुनिया गा रही है दुनिया छाती
हे राजा राम तेरी आरती उतारूँ आरती उतारूँ तुझे तन मन बारूँ, कनक शिहांसन रजत जोड़ी, दशरथ नंदन जनक किशोरी,
रावण मंदोदरी से कहता है:- जानकी जानकी मैं ना दूँ जानकी, मैंने बाज़ी लगाई है जान की। मुझको परवा नहीं
रोम रोम में रमा हुआ है, मेरा राम रमैया तू, सकल सृष्टि का सिरजनहारा, राम मेरा रखवैया तू, तू ही
राम राम राम भजो राम भजो भाई । राम भजन बिन, जीवन सदा दुखदायी॥ अति दुर्लभ मनुज देह सहज ही
मेरे राम, दया के सागर हैं, मेरी विगड़ी बनाओ, तो जाने ll त्रेता में आए, तो क्या आए, द्वापर में
जीवन तेरा अनमोल रे इस मिटटी में न गोल रे, माया से तू बच ले प्यारे दोलत से न तोल
राम भजन कर मन, ओ मन रे कर तू राम भजन। सब में राम, राम में है सब, तुलसी के