राम का गुणगान करिये
राम का गुणगान करिये, राम का गुणगान करिये। राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये॥ राम के गुण
राम का गुणगान करिये, राम का गुणगान करिये। राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये॥ राम के गुण
कण कण में श्री राम बसे हैं जन जन के हैं प्राण में चलता है श्री राम का सिक्का सारे
सभी भक्त करते इन्तजार आओ न , आओ आओ मेरे राम अब की बार आओ न, भक्त सब करे गुणगान
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो, राघव के चरण यहाँ हो, वहां मेरा ठिकाना हो सरयू का किनारा
आज अयोध्या की गलियों में घूमे जोगी मतवाला, अलख निरजंन खड़ा पुकारे देखुंगा दशरथ लाला, शैली श्रृंगी लिये हाथ में
मेरे राम इतनी किरपा करना बीते जीवन तेरे चरणों में मेरे राम मेरे घर आ जाना शबरी के बेर तुम
तू तो डूबा हुआ तर जायेगा मुख से राम राम राम राम गायेगा तू ना कर किसी की बुराई कौन
जिसने की उपासना निशिदिन, ज्ञान, ध्यान सत्काम की। शुद्ध हृदय से, मुक्त कंठ से, जय बोलो श्रीराम की। भव-भयहारी, जन-हितकारी,
नाचत दै दै कर ताली राघव रामलला, हर्षित मन मह महतारी राघव रामलला, पग में घुंघरू कमर करधनिया, कर में
माटी के पुतले सीता राम सीता राम बोल रे सीता राम सीता राम बोल रे माटी के पुतले सीता राम