धार्मिक उन्माद फैलाना
तर्ज-तेरी मेरी कट्टी हो जाएगी(रामावतार शर्मा जी का) धार्मिक उन्माद फैलाना, झगड़ों को और बढ़ाना, है कोई अच्छी बात नहीं
तर्ज-तेरी मेरी कट्टी हो जाएगी(रामावतार शर्मा जी का) धार्मिक उन्माद फैलाना, झगड़ों को और बढ़ाना, है कोई अच्छी बात नहीं
राम जी रो राख भरोसा मेरा भाई, जे तू राखे राम भरोसे गम ये न राखे काहियो राम जीरो,. राख
राम नाम से तूने बन्दे, क्यूँ अपना मुख मोड़ा दौड़ा जाए रे, समय का घोड़ा *इक दिन बीता खेलकूद में,
कभी कभी भगवान् को भी भक्तों से काम पड़े । जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े ॥
रामा ओ रामा रे, रामा ओ रामा रे । दिल खोले, मिल के बोलो, सारे बोलो, सीता राम । जीना
अजी मैं तो राम ही राम भजूँ री मेरे राम राम ही पार लगावेंगे जल थल गगन मण्डल में राम
दोहा : राम नाम रटते रहो, जब तक घट में प्राण । कभी तो दीन दयाल
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं हम राम जी के, राम जी हमारे हैं मेरे नयनो के तारे
दसरथ के राज कुमार वन में फिरते मारे मारे, दुनिया के पालन हार वन में फिरते मारे मारे, थी साथ
सुप्रीम कोर्ट फैंसले में राम जीते है बधाई हो, सारे राम भक्तो के मुँह में रसगुल्ला मिठाई हो, अब राम