
जगमग हुई अयोध्या नगरी
रतन सिंहासन राम विराजें,आई घड़ी महान धूमधाम से अवधपुरी में हो मंदिर निर्माण , अँखियाँ तरस गई सदियों से ,झूमे

रतन सिंहासन राम विराजें,आई घड़ी महान धूमधाम से अवधपुरी में हो मंदिर निर्माण , अँखियाँ तरस गई सदियों से ,झूमे

जीवन का निष्कर्ष यही है प्रभु प्रेम में लग जाना । आ ही गये तो बैठो प्यारे रामकथा सुनकर जाना

जय रघु नायक नाम हितकारी सुमिरन तेह सदा सुखकारी राम राम राम राम राम राम॥ सोवत भाग्य तुरत ही जागे

बोलो राम राम राम राम भजमन प्यारे सीता राम, संतन के जीवन दरुव तारे, भक्तो के प्राणों से प्यारे, बोलो

भज मन मेरे राम नाम तू , गुरु आज्ञा सिर धार रे, नाम सुनौका बैठ मुसाफिर जा भवसागर पार रे,

राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे। बूढी भिलनी कोे प्रभु कब उधारेंगे।मेरे.. नाना पुष्पों से रस्ता सजाऊँगी में, राम ही

“यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को |” चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी स्वर को | सबने

रे मन मुर्ख कब तक जग में जीवन व्यर्थ बिताये गा, राम नाम नहीं गायेगा तो अंत समय पछतायेगा, रे

प्रगटे हैं चारों भैया में, अवध में बाजे बधईया । जगमगा जगमग दियाला जलत है, झिलमिल होत अटरिया, अवध में

जय श्री राम हरे स्वामी जय सिय राम हरे । भक्त जनन दुख भंजन कृपा निधान हरे ॥ क्रीट मुकुट