
नगरी हो अयोध्या सी
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो चरन हो राघव के, जहा मेरा ठिकाना हो। नगरी हो अयोध्या सी,

नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो चरन हो राघव के, जहा मेरा ठिकाना हो। नगरी हो अयोध्या सी,

मुझे अपनी शरण में ले लो राम ले लो राम द्वार तिहारे आन पड़ा हूं मेरी खबरीआ ले लो राम

गली गली ढूंढा, वन वन ढूंढा, कहा कहा ढूंढा राम, सब जग ढूंढा मैंने, मन नहीं ढूंढा, जहा मिला मेरा

राम को देख कर के जनक नंदिनी, बाग़ में वो खड़ी की खड़ी रह गयी । राम देखे सिया को

के काम होगा वही जिसे चाहोगे राम, अपने स्वामी को सेवक क्या समजाये गा सागर में तैर रही पत्थर ये

नोट चाहिये किसी को वोट चाहिये, मुझको श्री राम का सपोर्ट चाहिये श्री राम भक्त बने बजरंग बलि, जय बजरंग

वे मैं सदके ललारीया जावा चुनी नु रंग देन वालिया जींद तेरे चरना विच लावा चुनी नु रंग देन वालिया

मेरे राम मेरे नाल रुस गये ने कोई जमी मेरे विच होवेगी कोई कमी मेरे विच होवेगी कोई कमी मेरे

तुमने आँगन नहीं बुहारा, कैसे आयेंगे भगवान्, मन का मैल नहीं धोया तो, कैसे आयेंगे भगवान्, चार और कल्मष कषाय

सब काम राम जी के तुमने बनाये है, बाला जी तुमने सारे संकट मिटाये है, सब काम राम जी के