राम मन्दिर की स्थापना प्राणी के हदय में भक्ती का रोपण है
राम मन्दिर की स्थापना प्राणी के हदय में भक्ती का रोपण है भगवान राम का राज तिलक है गर्भ ग्रह
राम मन्दिर की स्थापना प्राणी के हदय में भक्ती का रोपण है भगवान राम का राज तिलक है गर्भ ग्रह
राम राम जी जय जय रामब्रह्म मुहूर्त अमृत वेलाराम नाम सिमरो अलबेला। जन को कर दे पूर्णकामसिमरो निश दिन आठों
घर के द्वार को सजाएंगेरंगोली बनाएंगेदीपों की माला पहनाएंगेराम दीपक जलाएं गए। फूल और पत्तों के तोरण लगाएंगे। कंदील लगाएंगे
मेरा घर आज महका हैमेरे घर श्री राम आयें है जले है दिप चारों ओर मेरे भगवान आये हैं सुमिर
जय श्री राम सर्वदेवोंमय: श्रीराम राम राम कहिये, सदा सुखी रहियेवृद्धि आस्तिक भाव की, शुभ मंगल संचार |अभ्युदय सद्धर्म का
कौशल्या दशरथ के नन्दन,राम ललाट पे शोभित चन्दनरघुपति की जय बोले लक्ष्मणराम सिया का हो अभिन्नदनअंजनी पुत्र बैठे हैं चरणों
प्रेम मुदित मन से कहो राम राम रामराम राम राम श्री राम राम रामपाप कटे दुःख मिटे लेत राम नामभव
आज उत्सव मनाओ सारी दुनिया में, मेरे राम प्रभु जी घर आये, श्री राम श्री राम अवध पधारो अवधपति अबरघुवीर
श्रीराम गोविन्द मुकुन्द कृष्णश्री नाथ विष्णो भगवन्नमस्ते।प्रौढारिषड् वर्ग महाभयेभ्योमां त्राहि नारायण विश्वमूर्ते।। भगवान विष्णु ने जब रघुवंशी महाराज दशरथ के
सीता राम सीता राम रम जाये रोम रोम में रामहो गये पूरे चारों धाम ।। बचा न बाकी कुछ भी