
जब जब भी दादी तेरे नैनो से नैन मिलाई
जब जब भी दादी तेरे नैनो से नैन मिलाई आँखे ये मेरी भर आई, याद करू मैं मेरा बीता ज़माना

जब जब भी दादी तेरे नैनो से नैन मिलाई आँखे ये मेरी भर आई, याद करू मैं मेरा बीता ज़माना

महसर वाली मैया लगे है मुझको जान से प्यारी, अपनी कुल देवी पर जाओ वारी वारी, कलयुग में आया मैया

विघ्न हरण मंगल करन गौरी सुत गणराज कंठ विराजो शारदा आन बचाओ लाज मात पिता गुरुदेव के धरु चरण में

सुन मेरी मैया झुंझन वाली तने आज मैं बोल्यो हाथ जोड़ कर अर्ज करू थारा दर्शन रा पट खोलो इक

चालो रे चालो चालो झुंझनू धाम रे रानी सती दादी के दरबार धोरा माहीं राज करे है पूरन सबका काज

झिलमिल झिलमिल चूनड़ी में तारा चिमकै आजा ए भवानी तेरा सेवक तरसै झिलमिल झिलमिल चूनड़ी में..हो.. लाल सुरंगी मेंहदी थारे

आओ दादी भगतों मिलकर साथ चलें , नारायणी चरित महामंगल पाठ करें । अम्बिकापुर में मंदिर बना निराला है ,

उत्कल की पावन धरती पर इक धाम बड़ा मशहूर राणी सती दादी जी का मंदिर बिरमित्रापुर उत्कल की पावन धरती

जीवन तेरे हवाले किया जीवन तेरे हवाले, विश्वाश नहीं है तो कोरे कागज पे लिखवा ले, अपने और पराये को

झुँझन वाली ने मैं आज पहनावा गजरो, पहरावा गजरो जी पहरावा गजरो, झुँझन वाली ने… चुन चुन कलियाँ भागा से