दादी की कोठी
झुंझनू नगरी माहि माहरी दादी की कोठी, हो सारी दुनिया जान गई है ये सेठानी है मोटी, सेठानी मोटी या
झुंझनू नगरी माहि माहरी दादी की कोठी, हो सारी दुनिया जान गई है ये सेठानी है मोटी, सेठानी मोटी या
झुंझनु में घुंघटो ना जाऊ काड के मेरी दादी ने रिजा सु महे को नाच नाच से झुंझुन में जावन
तू मन से भुला के देख दादी आये गी, तू लग्न लगा के देख दादी आएगी, तू मन से भुला
जब जब हम दादी का मंगल पाठ करते है, साक्शात धनियाणी से हम बात करते है, जो मंगल पाठ कराते
मुझे फ़िक्र नहीं इस के रहते ये मालकिन है मेरे घर की, ये मालकिन है मेरे घर की ये मालकिन
ऐसा गुनाह करादे मुकदमा आये तेरे पास हो, दादी तेरे मंदिर में आ जीवन कारा वास हो, ऐसा गुनाह करादे
जिसके सिर पे तेरा हाथ हो माँ उसकी किस्मत का फिर तो क्या कहना, देने वाली तू ही इक मइयां
मोटी सेठानी मनने भी बना दे छोटी सेठानी मोटी सेठानी, आये तेरे दवार भी बना दे छोटी सेठानी मोटी सेठानी,
व्याह रचायो लाडली रो चाव सु मैया थाणे आज बुलावा साँची भगती भाव सु व्याह रचायो लाडली रो चाव सु
पलका बिछाया खड़्या हां मावड़ी, दर्शन दे देयो थी माने इक बार मावड़ी, पलका बिछाया खड़्या हां मावड़ी झुंझुनू में