आज तुम्हरा उस्तव मियां खूब सजा शृंगार है
आज तुम्हरा उस्तव मियां खूब सजा शृंगार है, आओ दादी भोग लगाओ छपन भोग तयारी है. बर्फी पैदा और कलाकंद
आज तुम्हरा उस्तव मियां खूब सजा शृंगार है, आओ दादी भोग लगाओ छपन भोग तयारी है. बर्फी पैदा और कलाकंद
अब भज दादी अब भज दादी दादी दादी यहीं काम आवेंगी काम आवेंगी की भव से पार लगावेंगी अब भज
करले भरोसा मेरी मात का तेरा पकड़े गी हाथ, पकड़े गी हाथ तेरा पकड़ेगी हाथ, दरिया भहे जिसके प्यार का
दादी इतनी किरपा करिये, दर ते आवता रवा, मैं तो थारे दरबार से मांगता रहा, थोड़ो थोड़ो देवो दादो बार
गली गली तेरी लोह जली , जय जय हो झुन्झंवाली , प्राणों से प्यारा हमको है दादी नाम , सब
दादी की किरपा उस पर थोड़ी सी ख़ास है, जिस का मेरी दादी पर अटल विश्वाश है, दादी की किरपा
मंगसीर की नवमी आई, खुशियाँ ही खुशियाँ छाई, बांटा जी बांटा म्हें बधावणा, ओ दादी, बांटा जी बांटा म्हें बधावणा,
जब जब मेरा मन घबराए और तकलीफ़ सताती है, मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है लोग
डंका जग की महारानी का भजता मोटी सेठानी का, झुँझन जैसा धाम नहीं है सब की जुबा पे नाम यही,
भोला भाला मुखड़ा चाँद सा सोणा है, देख के महके दिल का कोना कोना है, सो सो बार नैना इसे