
तेरे होते क्यों दादी मैं हार जाती हु
हार बार मैं खुद को लाचार पाती हु तेरे होते क्यों दादी मैं हार जाती हु हर कदम क्या युही

हार बार मैं खुद को लाचार पाती हु तेरे होते क्यों दादी मैं हार जाती हु हर कदम क्या युही

दादी हमे बुलाये झुँझन वाली हमें बुलाये, बड़ा वो किस्मत वाला है जो ये मंगल कलश उठाये, दादी हमे बुलाये

माह्पे कुलदेवी की किरपा होई फुले पले परिवार मैया की किरपा से माहरो भरे रवे भण्डार, जब कोई विपदा सिर

सब से बड़ी सरकार तेरी सबसे बड़ी सरकार, तेरा झुंझनू में दरबार तेरी हो रही जय जयकार, हम ने तो

सुन दादी सुन दादी मनोहार लाई हु दूर सु माँ चाल के दरबार आई हु यु तो मेरो थे सविकारो

माई थारी ज्योत सवाई ए दादी थारी ज्योत सवाई ए, कोई बैठी मंदिर माहि करो, भगता की सुनाई ए ,

म्हारे कालजे पे राख के तू कान सुनले , म्हारे धड़कन से निकले माँ तेरो नाम सुनले , सूरत थारी

माता का बुलावा आ गया, चल चलिए चल चलिए , मौसम भी सुहाना आ गया, चल चलिए चल चलिए ,

नज़दीक मेरे आने से आफ़त घबराती है, मेरे सर पे झुंझनवाली की चुनड़ी लहराती है, नज़दीक मेरे आने से आफ़त

मेरे दिल की पतंग में माँ,की डोर तू लगाईं देना कहीं और ना उड़ जाये,की झुंझनू उड़ाई देना ये मईया