दादी जी के हाथ रचाई जी या मेहँदी
सर्ब सुहागन मिल मंदिर में आई, दादी जी के हाथ रचाई जी या मेहँदी , सोने की झारी में गंगा
सर्ब सुहागन मिल मंदिर में आई, दादी जी के हाथ रचाई जी या मेहँदी , सोने की झारी में गंगा
जठे बैठी सती रानी श्यानी झुंझुनू धिराणी दानी गगन धारा में तो नगाड़ा बाजे देवरो सती को म्हाने प्यारो लागे
दिखलाये ये जोर बदलियां कितना बरस ती है, मेरे सिर पे झुँझन वाली चुनरियाँ डालके रखती है, दिखलाये ये जोर
धारा धरती विराजनो माँ , दीदी शक्ति लियो अवतार, जय हो शक्तिदादी री …. जोशी कुल ने तरियो मां ,