तेरी धूम मची है धूम
तेरी धूम मची है धूम फिर क्यों तेरी दया से बाबा मैं तो रहू मेहरूम, तेरी धूम मची है धूम
तेरी धूम मची है धूम फिर क्यों तेरी दया से बाबा मैं तो रहू मेहरूम, तेरी धूम मची है धूम
जब चारो और अँधेरा हो, साई का द्वीप जला लेना, जब चारो और अँधेरा हो, छोड़ भी दे ज़माना तो
प्यार के दीप जला जा साई तू घर आजा, अखा दी प्यास तू भुजा जा साई तू घर आजा, मेरे
कहा जाके फर्याद करू तू ही मेरा दीवाना है, तू ही माझी तू ही किनारा, तू भवर है तू ही
कोई पूछे के साई से रिश्ता है क्या, कह देना साफ़ उनसे यार लग दा नि मेरा यार लगदा, कोई
मैं हु दीवाना साई तेरा, करता हु तेरी बंदगी लगती है दर पे हज़ारी, सारा ज़माना साई तेरा, मैं हु
एह साई माफ़ करदे मेरी हर खता, मैं गुन्हेगार हु तू मेहरबान है तेरी रेहमत का आसरा, एह साई माफ़
कोई साई कहे कोई मसीहा कहे कोई इनको राम बताता है, कोई आल्हा का बंदा कहता कोई इसा जान शरण
सबते कृपा बनाई रखी साइयाँ, घर सब दे वसाई रखी साइयाँ, ऐसी लीला रचाई रखी साइयाँ, दुःख सुख च निभाई
रख मन में तेरे श्रद्धा सबुरी, हो जायेगी मन्नते तेरी पूरी, लेहरो से उल्जी हुई नाव को साई किनारा दे