
साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले
साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले, मैं सदा ही तेरे गुण गाता रहु, इक जन्म भी न तुमसे

साई जब जब भी मुझको ये जीवन मिले, मैं सदा ही तेरे गुण गाता रहु, इक जन्म भी न तुमसे

आँख रोती रही पाँव धोती रही, मेरे साई का हाथ मेरे सिर पे रहा, चिंता काहे करे काहे दुःख से

लू बलईया मैं साईं बार बार साईं मेरी बाह फडले, जो न तूने सहारा दियां तो ऐसा ना हो के

हो गया हैरान देख कर शिर्डी में नजारा, एक फ़कीर से मांग रहा है भीख ज़माना सारा, बाँट रहा जागीरे

धीरज रख वो रेहमत की वर्षा बरसा भी देगा, जिस साई ने दर्द दिया है वही दवा भी देगा, तोड़

तेरी पन्हा में आया मुझे पन्हा तो दे, हे साई अपनी कर्म वाली एक निगहा तो दे, तेरी पन्हा में

कलयुग के अवतारी बाबा मेरे साई नाथ है, भक्तो खातिर शिरडी आये मेरे साई नाथ है, कलयुग के अवतारी बाबा

ओ मेला साईं दा ll औंदा ऐ हर साल, ओ लोकी नच्दे ने ll दर ते खुशिया नाल, ओ मेला

मैं दीवाना हु दीवाना रहने दीजिये, मुझको साईं की मस्ती कहने दीजिये, शिर्डी जाए लोक सभी पूछे न साईं हाल,

नीम की ठंडी छाओ में साई जी के गांव में, भीड़ है भारी खो न जाओ डर लागे है अकेले